1. लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?
Solution
लेखिका के व्यक्तित्व पर दो लोगों का प्रभाव पड़ा।
पिताजी का प्रभाव: लेखिका के जीवन में उनके पिताजी के कारण हीन भावना घर कर गई थी। इस वजह से उन्हें अपने द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धि पर स्वयं ही विश्वास नहीं होता था । लेखिका के मन में देशभक्ति की अलख जगाने में उनके पिताजी का ही हाथ रहा।
प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का प्रभाव: हिन्दी साहित्य में लाने का पूरा श्रेय लेखिका हिन्दी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल को देती हैं। उन्होंने लेखिका में साहित्य के प्रति रूचि जगाई और समाज को समझना सिखाया| उन्हें विचारों को सामने रखा और निडर होकर आगे बढ़ना सिखाया|
2. इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?
Solution
‘भटियारखाना’ का अभिप्राय है, वह भट्ठी जिसमें या जिस पर हर समय रोटियाँ सेंकी जाती हैं। इससे यदि कोई व्यक्ति उसी से जुड़ा रहेगा तो वह देश-दुनिया को जान व समझ ही नहीं सकेगा। रसोईघर में व्यस्त रहने वाली लड़कियों की प्रतिभा व्यर्थ नष्ट हो जाती है। इसलिए लेखिका के पिता अपने बच्चों को घर-गृहस्थी या चूल्हे-चौके तक सीमित नहीं रखना चाहते थे, बल्कि वे उन्हें चूल्हे-चौके के काम से हटाकर जागरूक नागरिक बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने रसोईघर की उपेक्षा करते हुए उसे भटियारखाना सम्बोधित किया है।
3. वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?
Solution
एक बार कॉलेज के प्रिंसिपल का पत्र आया कि लेखिका के पिता जी आकर उनसे मिले और बताएं कि लेखिका की गतिविधियों के खिलाफ क्यों ना अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। पत्र पढ़कर पिताजी गुस्से से भन्नाते हुए कॉलेज गए इससे लेखिका बहुत भयभीत हो गई। परंतु प्रिंसिपल से मिलने तथा असली अपराध के पता चलने पर लेखिका के पिता को अपनी बेटी से कोई शिकायत नहीं रही। पिताजी के व्यवहार में परिवर्तन देख लेखिका को ना तो आंखों पर भरोसा हुआ ना कानों पर विश्वास।
4. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।
Solution
लेखिका के मन में देश की आजादी के लिए संघर्ष की भावना घर कर चुकी थी। उनके पिता देश की स्थितियों के प्रति जागरूक थे। लेखिका के पिताजी उन्हें देश के प्रति जागरूक तो करना चाहते थे पर एक निश्चित सीमा में रहकर और इस तरह सीमा में रहकर काम करना लेखिका के लिए नितान्त असम्भव था । वे नहीं चाहते थे कि उनकी लड़की लड़कों के साथ हड़तालें करवाए, जुलूस निकाले, प्रदर्शन करें, परन्तु उन्होंने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध यह ये सब कार्य किए और देश की आजादी के लिए पूरे जोश और उत्साह के साथ भाग लिया । फलस्वरूप उन दोनों में वैचारिक टकराहट बढ़ती चली गई जो राजेन्द्र यादव से उनके विवाह के बाद भी चलती रही
5. इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।
Solution
सन 1942 के आंदोलन के बाद जबकि विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की नीतियों, आपसी विरोधों और मतभेदों के बीच पूरा देश अंग्रेजों के विरुद्ध आक्रोश से भरा हुआ था। प्रभात फेरियां निकल रही थीं, जुलूस निकाले जा रहे थे, प्रदर्शन हो रहे थे| लेखिका भी अपने घर होने वाली राजनीतिक बहसों से प्रभावित हो क्रांतिकारियों और देशभक्त शहीदों के प्रति रूमानी आकर्षण में बँधकर भविष्य में कुछ कर गुजरने के सपने देखने लगीं। सन 1945 में प्राध्यापिका शीला अग्रवाल की प्रेरणा से देश में सक्रिय भागीदारी की। 1946-47 आते-आते लेखिका के अनुसार प्रभातफेरियाँ, हड़तालें, जुलूस, भाषण हर शहर का चरित्र था और पूरे दमखम और जोश-खरोश के साथ इन सबसे जुड़ना हर युवा का उन्माद था। निडर बनकर लेखिका ने आजाद हिंद फौज की नारेबाजी की। भाषण दे-देकर स्कूल, कॉलेज बंद करवाए। अजमेर के व्यस्त तंग चौराहे पर धुआँधार भाषण देकर आज़ादी का बिगुल बजाया।
6. लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था।क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।
Solution
आज लड़कियों के लिए स्थितियों में पूरी तरह बदलाव आ गया है। आज न तो वह पड़ोस ही रहा और न ही गुल्ली-डंडा, पतंग उड़ाना आदि खेल । आज लड़कियों का दायरा घर तक ही सीमित नहीं है। वह आज लड़कों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। वे स्वयं की एक अलग पहचान बना रही हैं।
7. मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है।परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए।
Solution
मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है।परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए। मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्त्व होता है, क्योंकि सुख-दु:ख में सबसे पहले आस-पड़ोस के ही लोग काम आते हैं और सहयोगी बनते हैं। रोजगार की तलाश में देश के सभी प्रांतों से आए पड़ोसी बने लोग अपनी संस्कृतियों का आदान-प्रदान कर देश की एकता और अखंडता को दृढ़ भी कर सकते हैं। न चाहते हुए भी असहायता, असुरक्षा और अनावश्यक संकोच को धारण करना मजबूरी बनती जा रही है। हमें पड़ोस की भूमिका को समझते हुए इसकी सहजता को बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए।
8. लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।
Solution
लेखिका द्वारा घर से कॉलेज की शिक्षा तक विविध विषयों की अनेक पुस्तकें पढ़ी गईं, जिनका विवरण इस प्रकार है:
किताब - लेखक
शेखर : एक जीवनी - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
नदी के द्वीप - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
त्यागपत्र - जैनेंद्र जैन
चित्रलेखा - भगवतीचरण वर्मा
9. आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए।
Solution
छात्र स्वयं करें|
भाषा अध्ययन
1. इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ|
(क) इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी।
Solution
टीचर से शिकायत कर मेरे मित्र ने मेरी खूब लू उतरवाई।
(ख) वे लोग आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे।
Solution
रोहन ने सौरभ को भड़काया और चुपचाप आग लगाकर तमाशा देखता रहा|
(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ।
Solution
कितनी बार तुम्हें समझाया था कि कोई भी ऐसा काम न करना, जिससे हमारी थू-थू हो।
(घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आग-बबूला हो गए।
Solution
गजेंद्र के पिता तो बस बात-बात में आग-बबूला हो उठते हैं।
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