1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?
Solution
कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए इसलिए कहता है, क्योंकि गरजना क्रान्ति का सूचक है। कवि इससे सामाजिक जीवन में परिवर्तन लाने के लिए क्रान्ति एवं नवसृजन के उत्साह की आवश्यकता बताना चाहता है। फुहार, रिमझिम या बरसने से क्रांति नहीं आती समाज में परिवर्तन लाने के लिए क्रांति आवश्यक है|
2. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
Solution
कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ इसलिए रखा गया है क्योंकि बादल के आने से सभी उत्साहित हो जाते हैं। बादल मन में हर्ष, उल्लास और उत्साह जगाते हैं। कवि क्रान्ति की आकांक्षा रखते हैं जिससे शोषित-पीड़ित जनता को सुख प्राप्त हो सके। अतः शीर्षक ‘उत्साह’ क्रांतिकारी चेतना जगाने के अर्थ में भी उपयुक्त सिद्ध होता है।
3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
Solution
कविता में बादल जीवन का आवश्यक तत्व पानी प्रदान कर सुखशांति और समृद्धि का संकेत करता है। बादलों को पीड़ित-प्यासे जनों की प्यास बुझाने और सुखकारी शक्ति के रूप में दिखाता है। दूसरी ओर गर्जन के साथ प्रयुक्त होकर विध्वंस, विप्लव और क्रांतिकारी चेतना का आह्वान करने वाला बनता है। यह नवनिर्माण कर नवजीवन प्रदान करने वाला भी बनता है।
4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भावया दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।
Solution
‘घेर घेर घोर गगन’, ‘ललित-ललित, काले घुघराले, बाल कल्पना के-से पाले’ तथा ‘विकल विकल, उन्मन थे उन्मन’ – इन पंक्तियों में उत्साह कविता में ध्वन्यात्मक प्रभाव से बना नाद-सौंदर्य स्पष्ट होता है|
अट नहीं रही NCERT Solutions
1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
Solution
कविता के निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर यह पोस्ट होता है कि प्रस्तुत कविता में अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाया गया है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
Solution
कवि की आंख फागुन की सुंदरता से इसलिए हट नहीं रही है क्योंकि इस महीने में प्रकृति का सौंदर्य अत्यंत मनमोहक होता है। पेड़ों पर हरी और लाल पत्तियां लटक रही होती हैं। चारों ओर फैली हरियाली और खिले रंग-बिरंगे फूल अपनी सुगंध से मुक्त कर देते हैं। प्रकृति का नया रंग और सुगंध जीवन में नई ऊर्जा का संचार करती है।
3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रुपों में किया है?
Solution
फागुन में प्रकृति ने फिर नए सिरे से शृंगार किया है। पेड़ों पर हरे-हरे और लाल आभा देते नए पत्ते आ गए हैं, डालियाँ झूम रही हैं। छोटे-बड़े सभी रंगों के और तीव्र-मंद सुगंध के पुष्प चारों तरफ मुसकराते दिखाई देते हैं। दूर-दूर तक हरियाली की मखमली चादर बिछी है। इस प्रकार फागुन की सुंदरता के दर्शन हमें सर्वत्र होते हैं।
4. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
Solution
फागुन में वसन्त ऋतु का आगमन होने से सारा वातावरण मादकता से पूरित होता है। यह मादकता उसे अन्य ऋतुओं से अलग कर देती है। फागुन में बसंत का मोहक सौंदर्य देखते ही बनता है। पकी फसलें सभी का मन मोह लेती है। रंग-बिरंगी तितलियों का फूलों पर मँडराना और भँवरों का गुनगुनाना जैसे वातावरण को संगीतमय बना देता है। फलों के राजा आम के पेड़ों का बौरों से लद जाते हैं|
5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।
Solution
निराला की कविताओं पर छायावादी प्रभाव का स्पष्ट रूप से दिखाई देता है| प्रकृति-चित्रण में उनका भाव-पक्ष तथा कला-पक्ष अद्वितीय है। इन दोनों कविताओं में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया गया है। इनकी रचनाओं में सहज-सरल खड़ी बोली के साथ संस्कृत के तत्सम शब्दों का उचित प्रयोग दिखाई पड़ता है। कविताओं में इनका शब्द-चयन अनूठा है। कविताओं में गीतात्मकता का गुण स्पष्ट झलकता है। विषय-वस्तु के साथ-साथ कहीं-कहीं कवि का विद्रोह-भाव भी स्पष्ट दिखाई देता है। उनका विद्रोह क्रांति-चेतना का अग्रदूत है।
रचना और अभिव्यक्ति
6. होली के आस-पास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर
होली के आस-पास प्रकृति में परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देते हैं, जैसे- ठंड कम होने लगती है। सूर्योदय थोड़ा जल्दी और सूर्यास्त कुछ देर बाद होता है। सुबह-शाम हल्की ठंड और दोपहर में थोड़ी गरमी हो जाती है। शीतल, मन्द सुगन्धित हवा बहती है। नए खिले फूलों की, आम के बौरों और खेतों में खड़ी पकती फसल की सोंधी गंध घुली रहती है। भौरें गुनगुनाने लगते हैं।
0 Comments